मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी को ?

मकर संक्रांति

इस साल मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को है?

इस त्योहार का समय सूर्य के उत्तरायण (मकर राशि में प्रवेश) के समय के साथ जुड़ा होता है, जो साल के पहले महीने जनवरी में होता है। इसलिए, मकर संक्रांति का दिन हर साल इसी समय होता है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में लोग इसे अलग-अलग तिथियों पर मना सकते हैं।
इसलिए अक्‍सर इस त्‍योहार की डेट को लेकर लोगों के बीच कन्‍फ्यूजन की स्थिति बनी रहती है. आइए जानते है कि मकर संक्रांति किस दिन मनाई जाएगी और स्नान दान करने का शुभ समय क्या है.

मकर संक्रांति शुभ संयोग

  • मकर संक्रांति 2024 तिथि – सोमवार 15 जनवरी 2024
  • मकर संक्रांति पुण्यकाल – सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजकर 21 मिनट तक
  • मकर संक्रांति महा पुण्यकाल – सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति एक हिन्दू त्योहार है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता को समर्पित करना है, जिसे इस दिन उत्तरायण समय का आरंभ होता है, जब सूर्य नया राशि मकर (Capricorn zodiac) में प्रवेश करता है। यह त्योहार सामान्यत: 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति के साथ एक लोकप्रिय कथा महाभारत से जुड़ी है, जो भीष्म पितामह की मृत्यु से संबंधित है। भीष्म, महाभारत में एक श्रद्धेय व्यक्ति थे जिन्हें अपनी मृत्यु का समय चुनने की शक्ति थी। उन्होंने यह चुना कि वह मकर संक्रांति के शुभ समय में, जब सूर्य उत्तरवायु में चलने लगता है, अपनी आत्मा को त्याग देंगे।

कथा के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपने शारीरिक पीड़ा के बेड़ पर तीरों के बिछे लेट जाने के बाद सूर्य का उत्तरायण का इंतजार किया। माना जाता है कि उन्होंने इस दिन अपने मृत्यु को प्राप्त किया और मोक्ष की प्राप्ति हुई।

इसके अलावा, त्योहार का कृषि से संबंधित महत्व भी है। यह एक समय है जब किसान शीतकालीन फसलों का उत्सव मनाते हैं और अच्छी फसल के लिए प्रकृति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। लोग पतंग उड़ाने, बॉनफायर्स, और तिल और गुड़ से बने परंपरागत मिठाईयाँ बनाते हैं।

संक्रांति पर स्नान दान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन स्नान कर सूर्य देवता सहित नवग्रहों की पूजा करना चाहिए, इसके बाद श्रद्धा अनुसार आप वस्त्र,अन्न और धन का दान करने का विधान है. मकर संक्रांति के दिन तिल और खिचड़ी का दान बहुत ही शुभ माना गया है. दान का समय सुबह सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा. यह मुहूर्त दान आदि करने के लिए बेहद शुभ है. इस समय आप जरुरतमंदों को खिचड़ी, गुड़, काले तिल,ऊनी कपड़े आदि दान करें. मकर संक्रान्ति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है. उत्तरायण में दिन बडे़ और रातें छोटी होती हैं.

 

मकर संक्रांति को भारतवर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है, और यह विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।

  • पोंगल (Pongal):
    • दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु और अंध्र प्रदेश में मनाया जाता है।
  • लोहड़ी (Lohri):
    • उत्तर भारतीय राज्यों, जैसे कि पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को लोहड़ी कहा जाता है।
  • मघा बिहु (Magha Bihu):
    • असम में मघ महीने के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे मघा बिहु कहा जाता है।
  • उत्तरायण संक्रांति:
    • गुजरात और पश्चिम बंगाल में उत्तरायण संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, जो सूर्य का उत्तर की दिशा में गतिविधियों का समय है।
  • माघ सक्रांति (Magha Sankranti):
    • मगह महीने में इसे माघ सक्रांति कहा जाता है और इसे पूरे भारत में मनाया जाता है।
  • माकर साज (Makar Saj):
    • उत्तराखंड राज्य में इसे माकर साज कहा जाता है और धूप बनाने की एक परंपरागत प्रक्रिया होती है।
  • सांडे मकर:
    • झारखंड राज्य में मकर संक्रांति को सांडे मकर कहा जाता है।
  • उट्टरायण (Uttarayan):
    • गुजरात राज्य में उत्तरायण कहा जाता है और यह पतंगबाजी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • सुंडरमन्या लोकराज्य (Sundaramanya Lokrajya):
    • कर्नाटक राज्य में मकर संक्रांति को सुंडरमन्या लोकराज्य कहा जाता है।
  • संत रविदास जयंती:
    •  भारत के कुछ हिस्सों में, मकर संक्रांति के दिन संत रविदास की जयंती भी मनाई जाती है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *